हिन्दी लोकवाणी 10वी
अनुक्रमणिका
पहली इकाई
अ.क्र. |
पाठ का नाम |
विधा |
रचनाकार |
१. |
सोंधी सुगंध |
गीत |
डॉ. कृपाशंकर शर्मा 'अचूक' |
२. |
खोया हुआ आदमी |
वर्णनात्मक कहानी |
सुशांत सुप्रिय |
३. |
सफर का साथी और सिरदर्द |
हास्य-व्यंग्य निबंध |
रामनारायण उपाध्याय |
४. |
जिन ढूँढा |
दोहे |
संत कबीर |
५. |
अनोखे राष्ट्रपति |
संस्मरण |
महादेवी वर्मा |
६. |
ऐसा भी होता है (पठनार्थ) |
हाइकु |
अभिषेक जैन |
७. |
दो लघुकथाएँ |
लघुकथा |
संतोष सुपेकर |
८. |
कर्मवीर |
प्रेरक कविता |
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' |
दूसरी इकाई
अ.क्र. |
पाठ का नाम |
विधा |
रचनाकार |
१. |
मातृभूमि |
कविता |
मैथिलीशरण गुप्त |
२. |
कलाकार |
संवादात्मक कहानी |
राजेंद्र यादव |
३. |
मुकदमा |
एकांकी |
गोविंद शर्मा |
४. |
दो गजलें |
गजल |
राजेश रेड्डी |
५. |
चार हाथ चाँदना (पठनार्थ) |
साक्षात्कार |
अमृता प्रीतम |
६. |
अति सोहत स्याम जू |
सवैया |
रसखान |
७. |
प्रकृति संवाद |
ललित निबंध |
रामदरश मिश्र |
८. |
ऐसा वसंत कब
आएगा ? |
गीत |
जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिंद' |
व्याकरण एवं रचना विभाग तथा भावार्थ
१. सोंधी सुगंध
*
सूचना के अनुसार
कृतियाँ कीजिए:-
शब्द संसार
सोंधी – सुगंधित;
सागर – समुद्र; पुष्प - फूल मंसूबा – विचार,
इरादा; माथा – मस्तक रोली – हलदी-चुने का
चूर्ण; पावस – वर्षा ऋतु मधुमास – वसंत ऋतु;
आस – अशा विश्वास – यकीन,
निश्चित धारणा नतमस्तक – जिसका सिर
झुका हुआ हो पद – पैर ; हंसी ठिठोली
–हंसी मजाक
मेघों के बरसने से हुए परिवर्तन-
·
बादल बारसा,
धरती ने आंखे खोली।
·
चारो ओर हरियाली हुई।
·
बाग-बगीचा,
ताल तलैया मुस्काने लगे।
·
सागर का जो मनसुबा था अब
वह पुरा हो गया।
(२) कृति पूर्ण कीजिए:
सुगंध मिट्टी से बोली- * बादल
बरस गया, धरती ने आंखे खोली।
*
चारो ओर हरियाली छाई है।
*
सदियोंका जो सपना था वह पुरा हो गया।
*
मस्त पवन ने अब अपनी झोली खोली है।
*
मोर कहता है उसका सदियों का सपना पूरा हो गया।
(३)
गीत में प्रयुक्त क्रियारूप लिखिए।
१. बाग-बगीचे, ताल तलैया मुस्काते
है। == मुस्काना
२. झूम-झूमकर
मस्ती में तरु गीत-गाते हैं। ==गाना
३. मधुमास
आस-विश्वास – बढाता। ==बढाना
४. धरती ने श्रृंगार किया। ==करना
(४) उपसर्ग-प्रत्यय लगाकर शब्द लिखिए।
उपसर्ग |
शब्द |
प्रत्यय |
सुगंध |
गंध |
गंदगी |
असफल |
सफल |
सफलता |
अभिव्यक्ति
प्रस्तुत गीत की प्रथम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
चारो ओर हुई............. माटी से बोली
भावार्थ : जंगल मे रहनेवाले मोर काहते है की, बारीस
बरसने से चारो ओर हरियाली छाई हुई है। अब उसका सदियों का सपना पूरा हुआ है। अब वह
अकेला नही घुमता बल्की टोली मे रहते है।वर्षा ऋतु मे सोंधी –सोंधी सी सुगंध मिट्टी
से बात करती है।
भाषा
बिंदु
वर्तनी के अनुसार शुद्ध शब्द छाँटकर लिखिए।
१. विश्वास/विशवास/विसवास २. मसतक/मस्थक/मस्तक
३. पथ्थर/पथ्तर/पत्थर ४. कुरीति/कूरिति/कुरिती
५. चिन्ह/चीहन/चिहून ६. इकठठा/इकठ्टा/इकट्ठा
७. खुबसुरत/खूबसुरत/खूबसूरत ८. विद्यापीठ/विद्यापीठ/विद्यापिठ
९. बुद्धी/बुध्दी/बुद्धि १०. परिक्षार्थि/परीक्षार्थि/परीक्षार्थी
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